Misandry मिसऐंडरी
एक कड़वा सच
प्राचीन यूनान में 'मिस' का अर्थ 'द्वेष' और 'ऐंडरो' का अर्थ 'पुरुष' था।यह मिसाजनी के बिलकुल विपरीत है।मिसऐंडरी शब्द आपको कंप्यूटर शब्दकोष में दिखायी नहीं देगा परंतु इसकी वास्तविकता शब्दकोष के बाहर है।एक ऐसी वास्तविकता जो बिना नाम के बड़े पैमाने पर दिखाई देती है।
'मिसऐंडरी' का अर्थ है पुरुष जाति से द्वेष।यह एक प्रकार की पुरुषों के विरुद्ध घृणा है। मिसऐंडरी एक प्रकार की पुरुषों के प्रति नफरत,द्वेष या घृणा है जो किसी भी इंसान में समायी हो सकती है।पुरुषों या लड़कों के प्रति बैरभाव,नफरत,अप्रीति,विरोध,घृणा,द्वेष ही मिसऐंडरी है।
पुरुष अवसाद,पुरुष के विरुद्ध हिंसा,पुरुष अवमानना को सम्मिलित करते हुए मिसऐंडरी को अनगिनत प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है।
मिसऐंडरी एक शब्द है जो उन्नीसवी सदी में मिसाजनी की समांतर अवस्था में दिखाई पड़ा था।'मिसऐंडरीस्ट' शब्द पहली बार अप्रैल 1871 में 'द स्पेक्टेटर' नामक पत्रिका में उपयोग किया गया था जिसका अर्थ है पुरुषद्वेषवादी।यह 1952 में 'मेरिएम वेबस्टर' नामक शब्दकोष में भी छपा था।
बहुत साल पहले औरतों पर किये गए एक अनुसंधान से पता चला की जो औरतें अपने आप को नारीवादी नहीं कहती वो पुरुष से ज्यादा घृणा करती है अपेक्षा जो औरतें अपने आप को नारीवादी कहती हैं।
सामाजिक मनोवैज्ञानिकों ने पाया की असुरक्षित अंदाज बंधन और पुरुष के प्रति स्त्रियों की लैगिंक शत्रुता में सम्बन्ध है।सामाजिक मनोविज्ञानिक कहते हैं की प्रत्येक औरत दिन में एक वक्त पुरुष से घृणा जरूर करती है।वो पुरुष कोई भी हो सकता है चाहे वो भाई हो,पिता हो,पति हो,बेटा हो या कोई और।
पुरुषद्वेष की मानसिकता के फलस्वरूप भारत देश में पुरुष की जनगणना में भारी कमी आयी है।पिछले कुछ सालों के एन.सी.आर.बी डेटा के अनुसार पुरुष द्वारा आत्महत्या की संख्या स्त्री द्वारा आत्महत्या की संख्या से दुगनी है।वर्ष 2014 में पुरुष द्वारा आत्महत्या की संख्या 79773 थी और वहीँ दूसरी ओर स्त्री द्वारा आत्महत्या की संख्या 40715 थी जो स्त्री द्वारा आत्महत्या की संख्या से लगभग दुगनी थी।
विश्वसम्बन्धी तथ्य यह है कि मिसऐंडरी एक ऐसा रूप है जहाँ पुरुष को ऐसी नफरत से देखा जाता है कि अगर पुरुष इस समाज मे नहीं होगा तो बड़िया होगा। मिसऐंडरी एक ऐसी अवस्था है जहाँ स्त्री ही नहीं पुरुष भी मिसऐंडरी स्वभाव के शिकार है।पुरुष भी समझते हैं कि उनके अलावा जो पुरुष है वो गलत है।कहने का तात्पर्य यह है कि पुरुष भी पुरुषद्वेषी मानसिकता के हैं।विडंबना यह है कि नारीवादी कहते हैं कि इस शब्द में कोई वास्तविकता नहीं है।इसका कोई मूल नहीं है।जब भी नारीवादीयों से पूछो तो वो हँसते हुए कहते हैं कि कौन कहता है कि हम नारीवादी हैं,हम तो पुरुष से प्यार करते हैं,हम तो पुरुष के साथ हैं।वह व्यंग करते हुए कहते हैं कि मिसऐंडरी तो किसी भी इंसान मे हो ही नहीं सकती।
नारीवादी कहते हैं कि स्त्री और पुरुष में समानता होना संभव नहीं है।स्त्रियों को पुरुषों के ऊपर शासन करना चाहिए क्योंकि आजकल स्त्रियों के पास पुरुषों के मुकाबले बहतर क्षमता है।
नारीवादियों का द्रष्टिकोण एक ऐसे पुरुषविरोधी का है जिसमे पुरुष को दानव समझा जाता है।कुछ नारीवादी तो पुरुष को केवल बलात्कारियों के रूप में ही देखते हैं।अगर आप इंटरनेट के कुछ नारीवादी जगह की खोज करोगे तो पाओगे कि नारीवादी को पुरुष शब्द बहुत काटता है।
एक बच्चे को डराने के लिए कहा जाता है कि सो जा नहीं तो बाबा आ जायेगा।तू ऐसा नहीं करेगा तो तुझे बाबा उठा के ले जायेगा।जब बच्चा थोडा बड़ा होता है तो उसे कहा जाता है कि बाहर किसी से चीज मत लेना ,वो बाबा होते हैं डाकू होते हैं जो बच्चे को उठाकर ले जाते हैं।यही कारण है कि बच्चे को बचपन से बीज बौ दिया जाता है कि पुरुष ऐसा काम करते हैं बाबा होते हैं,चोर होते हैं,डाकू होते हैं।ये क्यों नहीं कहा जाता कि सो जा नहीं तो बाबी(स्त्री) आ जायेगी।
क्या हमने आजतक बाबी शब्द सुना है? नहीं।
क्या स्त्री ऐसा काम नहीं करती?
फिर हम बचपन से बच्चे को पुरुषविरोधी क्यों बनाते हैं?
उसकी मानसिकता पुरुषद्वेषि क्यों बनाते हैं?
माँ अपने बच्चे को क्यों कहती है कि तूने ऐसा नहीं किया,तू ऐसा कर रहा है आने दे तेरे पापा को उनसे कहूँगी वो तेरे को मारेंगे?
क्या एक पिता अपने बेटे को दहशत देने के लिए पिता बना है?
क्या वो अपने बेटे को माँ की तरह ममता नहीं दे सकता?
अगर एक स्त्री पुरुष को मारती है तो समाज में लोग कहते हैं कि पुरुष ने कुछ किया होगा तभी स्त्री ने उसे मारा।अगर एक पुरुष स्त्री को मारता है तो कहते हैं कि कितना जालिम आदमी है एक बेचारी स्त्री पर हाथ उठाता है।यही मिसऐंडरी है।बिना सच जाने हम हर हालात में पुरुष को ही गलत कहते हैं।
ज्यादा न लिखते हुए मैं आप सभी से पूछना चाहता हूँ।
हमारा ऐसा द्रष्टिकोण क्यों है?एक स्त्री को बेचारी और पुरुष को जालिम कहना और सोचना हम कब बंद करेंगे?ऐसा युग कब आएगा?पुरुषद्वेष हमारे दिलों दिमाग से कब जायेगा?
इसके बारे में आप अपने विचार नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में लिखें।
Good
ReplyDeleteVery good .. You must write more
ReplyDeleteRavi gupta,
ReplyDeleteI will write.
A bitter Truth of Society against Men. When Society will open it's eyes and openly doing oppose & Complain against such women.
ReplyDeleteVery nice article and its fact of this generation
ReplyDeleteVery Good Neeraj.
ReplyDeleteVery Good Neeraj.
ReplyDeleteThis is how sociaty is creating bad thinking about men. A nicely written article on "Misandry". Good Job.
ReplyDeleteGood blog
ReplyDeleteNicely written and explained about the misandry... great article
ReplyDeleteTrue!!!
ReplyDeleteMale person have become innocent victim of Misandry, in the hands of females and feminist people.
Females have been thoughtfully taking undue advantage to exploit males.
Immediate action by the society, legislature and judiciary is required to save males from this exploitation.